• Home/Away Diaries

    November 8, 2017

    “बरगद की छांव”, मुझे इस इसकी छाओं में आने का मौका तब मिला जब मैं पहली बार ऑडिशन देने गया,पहले राउंड ऑडिशन के बाद जब मुझे राजन के करैक्टर का ऑडिशन करने के लिए बोला गया तो मैं सोचने लगा की ये कैरेक्टर तो बहोत बेहतरीन है, कई सारे एक्टर्स आये थे ऑडिशन के लिए और मैं इसे करना चाहता था, तो ऑडिशन भी हुआ और मुझे ये करैक्टर करने का मौका भी मिला। फिर 29 जून को हम लोगों को जहांगीर पूरी c ब्लॉक में बुलाया गया ताकि सारे एक्टर्स उस माहौल को समझ पाएं जिस तरह के एरिया की ये कहानी है,और जिस तरह के करैक्टर हम सब करने वाले थे, मुझे इस चीज ने बहोत हेल्प की राजन के करैक्टर को बनाने में। इसी दिन पूरी टीम से मुलाक़ात भी हुई, फिर बरगद की छाओं में की कहानी को जिवंत करने की कोशिश शुरू हुई, और इस प्लेय को बनाते बनाते कुछ अंजान लोग एक परिवार में तब्दील हो गए,और देखते ही देखते 9 सितम्बर यानि वो दिन आ गया जब हमें अपना पहला शो  जुविनाइल होम किंग्सवे कैंप में करना था, यहाँ शो करने का अनुभव बहोत ही बेहतरीन रहा, वहां के बच्चे राजन के कैरेक्टर से ज़्यादा कनेक्ट कर पा रहे थे क्योंकि राजन उनमें से ही एक था, उस दिन राजन को जी कर एक एक्टर के रूप में मुझे बहोत मज़ा आया, राजन के कैरेक्टर को करते हुए मुझे और गहराई से ये समझ आया की कई बार गलत संगत, गलत डिसीजन, और कई बार बिना गलती के भी बच्चों को बहोत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

    16 सितम्बर को हमने वसंत वैली में शो किया, जो की एक इनडोर ऑडिटोरियम में हुआ यहाँ प्लेय का करने का अनुवभ भी अलग था क्योंकि की यहाँ हमारी ऑडियंस अलग थी ,जगह अलग थी।

    स्कॉटलैंड

    2014 में युवा एकता के साथ ही मैं शून्य से शिखर नाम का प्लेय करने आया था, और 2016 में बरगद की छाओं में।

    यहाँ कई सारे ग्रुप्स आये हुए थे उनकी वर्कशॉप अटेंड की और उनके शो देखे, ये जो एक्सपीरिएंस मुझे यहाँ मिला उसको शब्दों में बयान करना मुश्किल है,किसी भी वर्कशॉप में मैं अंजान लोगों से बड़ी आसानी से कनेक्ट हो जाता था जैसे उनको बहोत पहले से जनता हूँ, मेरे ख्याल से ये ही थिएटर का पॉवर है।

    9 अक्टूबर जिसका हम सबको बहोत इंतज़ार था वो दिन भी आ ही गया, ये प्लेय इसी दिन के लिए तैयार किया गया था, शो के दौरान मैंने महसूस किया कि सब लोग एक्टिंग नहीं कर रहे थे सब के सब उन किरदारों को जी रहे थे,उस दिन कुछ मैजिक सा हुआ था, सबने बहोत उम्दा काम किया था, शो के बाद लोगो से बात हुई लोग पर्सनली आ कर स्टोरी के बारे में, किरदारों के बारे में, परफॉरमेंस के बारे में बात कर रहे थे, इससे मुझे ये समझ आया की लोग बरगद की छांव में प्लेय से कनेक्ट हो पाए थे, इस बात का क्रेडिट मेरे हिसाब से  सबसे ज़्यादा हमारे शो की डायरेक्टर पुनीता रॉय मैम को जाता है, जिन्होंने इतनी रियल और बेहतरीन स्टोरी लिखी और साथ ही साथ सारे एक्टर्स को पूरा मौका दिया अपने किरदारों के साथ जस्टिस करने का । और फिर क्रेडिड जाता है हमारी पूरी टीम को,जिन्होंने इस शो को बनाने के लिए बहोत मेहनत की।

    मुझे भी इस प्लेय के दौरान अपने किरदार राजन को बनाने के लिए बहोत काम करने का मौका मिला,मैं कई दिनों से कुछ ऐसा काम करना चाहता था, मैं ग्लास्गो ट्रिप के दौरान अपनी टीम को और गहराई से जान पाया, मैंने ये भी महसूस किया कि जब आपके आस पास पॉजिटिव लोग होते हैं तो हम भी पॉजिटिव होते चले जाते हैं और हमारा काम भी बेहतर होता चला जाता  है, मेरी तो पूरी टीम ही पॉजिटिव लोगो से भरी हुई है, मैं अपनी पूरी टीम को थैंक यू कहना चाहता हूँ, मैं National Theater Of Scotland को भी थैंक यू कहना चाहता हूँ जिन्होंने इतना प्यारा, इतना शानदार Home Away फेस्टिवल ऑर्गनाइज किया ।

    इस ट्रिप के दौरान मैं घुमा भी और नेचर को थोड़ा और जाना भी, नई नई जगह और लोगो को देख कर लगा की दुनिया में बहोत कुछ है एक्स्प्लोर करने को।

    ओवरऑल मुझे एक ऐसा एक्सपीरियंस मिला जो मेरे लिए बहोत अनमोल है, ये मुझे हमेशा याद रहेगा, इस शो का हिस्सा बन कर मैं बहोत लकी फील कर रहा ह और आगे हमे और भी शो करने हैं उसके लिए भी मैं उस्सहित हूँ, इसके लिए युवा एकता फाउंडेशन का जितना भी थैंक किया जाये काम होगा।

    Thank you The Yuva Ekta Foundation, Puneeta Maam, Dilip Sir, Mrinalini ma’am and Gilles sir for the opportunity.

    -Pankaj Gupta plays the character of ‘Rajan’ in ‘Bargad ki Chhaon Mein’, the play that was performed in Glasgow, Scotland as part of Home/Away Festival.

LEAVE A COMMENT